हाथरस (आरिफ खान) : गर्मी अधिक होने की स्थिति में कॉलेज में जेनरेटर चलाया जाता है। यह जेनरेटर चौथे व पांचवें घंटे पर ही चलता है। सुबह से लेकर लगभग दस बजे तक कॉलेज में पढ़ने वाली विद्यार्थियों को गर्मी में ही पढ़ना पड़ता है। इस कारण विद्यार्थी अपने साथ छोटे-छोटे पंखे लेकर आते हैं। कुछ विद्यार्थी कॉपियों से हवा करने लगते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बा सहपऊ स्थित एमएल इण्टर कॉलेज का बिजली का कनेक्शन पिछले दस से कटा हुआ है। इसको लेकर विवाद न्यायालय तक पहुंच गया, लेकिन कनेक्शन नहीं जुड़ पाया है। ऐसे में भीषण गर्मी में 720 विद्यार्थी परेशान है। कॉलेज में वैसे तो जेनरेटर भी है, लेकिन वह भी बामुश्किल दो घंटे ही चलता है। गर्मी से परेशान छात्र शिक्षकों से पूछते हैं कि उनका क्या कसूर है, बहुत गर्मी लगती है, शिक्षक भी उन्हें कुछ जवाब नहीं दे पाते।गर्मी एवं उमस के कारण पेड़ के नीचे बेठीं एमएल इण्टर कॉलेज की छात्राएं अपने घर से हाथ के पंखे लेकर आते हैं विद्यार्थी
हाथरस। गर्मी अधिक होने की स्थिति में कॉलेज में जेनरेटर चलाया जाता है। यह जेनरेटर चौथे व पांचवें घंटे पर ही चलता है। सुबह से लेकर लगभग दस बजे तक कॉलेज में पढ़ने वाली विद्यार्थियों को गर्मी में ही पढ़ना पड़ता है। इस कारण विद्यार्थी अपने साथ छोटे-छोटे पंखे लेकर आते हैं। कुछ विद्यार्थी कॉपियों से हवा करने लगते हैं। जब कभी जेनरेटर खराब हो जाता है तो विद्यार्थियों को पूरे दिन ही गर्मी में बैठना पड़ता है। कॉलेज में जब बोर्ड की परीक्षाएं होती हैं तो उनके लिए अस्थायी रूप से कनेक्शन लिया जाता है और बोर्ड परीक्षाएं समाप्त होने के बाद उसे कटवा दिया जाता है। दूसरा जेनरेटर पड़ा है खराब
इस कॉलेज में सन 1993 में सरकार की ओर से व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया गया और इस योजना के तहत ही कॉलेज को पेट्रोल व गैस से चलने वाला जेनरेटर उपलब्ध कराया था। 2008 में कॉलेज में कम्प्यूटर शिक्षा सत्र चलना प्रारम्भ हुआ था। अब वह खराब पड़ा हुआ है। उसे ठीक ही नहीं कराया गया।
हमारे कॉलेज में केवल दो घंटे के लिए जेनरेटर चलाया जाता है, बाकी पूरे दिन गर्मी में ही पढ़ना पड़ता है। पढ़ाने वाले अध्यापक की नजर बचाकर हम लोग कापी से जब कभी हवा करके समय निकालते हैं।
एमएल इण्टर कॉलेज विद्यालय प्रधानाचार्य का कहना
हाथरस। सूरजपाल सिंह, प्रधानाचार्य, एमएल इण्टर कॉलेज विद्यालय का बिजली कनेक्शन सन 2013 से कटा हुआ है। बच्चों से पंखा शुल्क एक रुपया निर्धारित है । जेनरेटर चलाने में 500 रुपये का डीजल मुश्किल से दो दिन चल पाता है।-