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नए आपराधिक कानून के तहत दिल्ली में पहला मामला दर्ज, आज से तीनों लॉ लागू

नए आपराधिक कानून के तहत देश की राजधानी दिल्ली में पहला मामला दर्ज हो गया है. यह मामला दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है. भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत यह मामला एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ दर्ज किया गया है. इस FIR में वेंडर के खिलाफ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे बिक्री करने और बाधा डालने के आरोप लगाया गया है.आज से पूरे देश में तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गए है. इसके साथ ही अंग्रेजों द्वारा बनाए गए तीनों पुराने कानून इंडियन पीनल कोड 1860, क्रिमनल प्रोजीसर कोड (CrPC) 1898, 1973 और इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 कानून समाप्त हो गए. तीन नए क्रिमिनल लॉ को लेकर सरकार का कहना है कि यह तीन नए कानून दंड की जगह न्याय पर आधारित है. ये तीनों कानून अंग्रेजों के जमाने के थे. उन्होंने अंग्रेजी शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे. उनका मकसद न्याय नहीं दंड देने का था. मगर भारत का लोकतंत्र न्याय की अवधारणा वाला है और इसी के आधार पर आपराधिक न्याय प्रणाली बनाई गई है. इन तीन नए क्रिमिनल लॉ के लागू होने से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में कई बदलाव आने की उम्मीद है. संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों नए क्रिमिनल लॉ बिल को मंजूरी दी थी.राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही इन तीनों बिल कानू का रूप ले लिया. 2019 से इन तीनों कानूनों पर काम शुरू हुआ था. संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पुराने कानूनों का मूल उद्देश्य अंग्रेजी शासन को मजबूत बनाना था. उनका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय करने का नहीं. इन तीनों नए क्रिमिनल लॉ का उद्देश्य दंड नहीं, न्याय देना है. यहां दंड, न्याय देने का एक चरण है.आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा. पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. किसी भी मामले में 3 साल में न्याय दिलाने का उद्देश्य है. नाबालिग से रेप के दोषी को उम्र कैद या फांसी होगी. गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा. राजद्रोह अब देशद्रोह होगा. हत्या की धारा पहले 302 थई अब 101 होगी. ट्रायल के मामले में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी, पहले यह जरूरी नहीं था. किसी भी मामले में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ितों को देगी. आरोपी अगर 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होता है तो उसकी गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा. आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट की कॉपी पाने का अधिकार है. केस खत्म होने के बाद जज को 43 दिन के अंदर फैसला देना होगा. फैसले के 7 दिन के अंदर सजा सुनानी होगी. कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है. इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध माना गया है. इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.

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