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यूपी के नजूल बिल की तर्ज पर गोवा में नो मैन्स बिल, विपक्ष बोला- संपत्ति हड़पेगी सरकार

उत्तर प्रदेश में नजूल बिल की तर्ज पर गोवा की सरकार नो मैन्स बिल लेकर आई है. बिल का विपक्ष ने विरोध किया है. विपक्ष का कहना है कि सरकार की नीयत में खोट है. विपक्ष के विरोध के बाद भी प्रमोद सावंत सरकार विधानसभा में बिल को पास कराने में सफल रही है. इस बिल में लावारिश और बेनामी जमीन पर सरकार के कब्जे का जिक्र है.इस बिल के पास हो जाने के बावजूद सरकार की राह आसान नहीं है. क्योंकि विपक्ष लगातार इस बिल का विरोध कर रहा है. विपक्ष ने पारित किए गए नए नो मैन बिल की आलोचना की, कहा कि गोवा सरकार भूमि हड़पने वालों को कानूनी रूप से मदद कर रही है. गोवा विधानसभा ने गोवाएस्केट्स, जब्ती, और बोना वैकैंटिया विधेयक पारित कर दिया है जो एक विवादास्पद कानून है.विपक्ष ने विधेयक के संभावित दुरुपयोग पर चिंता जताई है. विशेष रूप से मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और मंत्री बाबुश मोनसेरेट पर गलत इरादे रखने का आरोप लगाया है. फतोर्दा विधायक विजय सरदेसाई ने कहा कि सरकार को 12 साल तक संपत्ति नहीं बेचनी चाहिए ताकि इससे सुनिश्चित हो की सरकार की नीयत में खोट नहीं है. सरदेसाई ने ये तक आरोप लगाया की सरकार किसी को समझौते पर हस्ताक्षर करने या फिर जमीन पर कब्जा करने के लिए धमका सकती है. इसके साथ ही एल्डोना विधायक कार्लोस फरेरा ने कहा कि यह कानून आधिकारिक तौर पर लोगों की संपत्ति हड़प लेगा. फरेरा ने कहा की यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है और फिर आप एक व्यक्ति को यह बताने के लिए दौड़ाते हैं कि तीन महीने के भीतर जमीन उसकी हो गई है.एक सप्ताह पहले विपक्ष ने भी इस बात पर चिंता जताई थी कि जमीन कब्जा करने के मामले से निपटने के लिए जो एक सदस्यीय आयोग बनाया गया था, उसका कोई नतीजा नहीं निकला है. इसी के लिए आयोग बनाया गया था. इस आयोग का कार्य अभिलेखीय दस्तावेजों की जालसाजी से जुड़े फर्जी भूमि सौदों की जांच करना था. इसके गठन और उसके बाद 1 नवंबर, 2023 को सीएम सावंत को रिपोर्ट सौंपने के बाद ये बात सामने आई की गोवा में 1.5 लाख वर्ग मीटर की 93 पार्सल भूमि से जुड़े भूमि कब्जा के 111 मामले दर्ज किए गए है, लेकिन और भी जमीन चिन्हित हो सकती है.

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