झारखंड में घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन ने मंत्री पद की शपथ ले ली है। चंपई सोरेन के इस्तीफे के बाद उन्होंने मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल ली है। रामदास सोरेन का सियासी सफर भी काफी संघर्षपूर्ण रहा है। रामदास सोरे पहले तो जमशेपुर पूर्वी विधानसभा सीट से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा में सक्रिय हो गए। लेकिन 2004 में राज्य में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन होने के कारण घाटशिला से उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे नाराज होकर निर्दलीय ही झूड़ी छाप पर चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहे। 2009 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस-झामुमो का गठबंधन टूटा तो रामदास सोरेन फिर से झामुमो के प्रत्याशी बनाए गए थे। उस समय रामदास सोरेन ने कांग्रेस के तीन बार के विधायक रहे कद्दावर नेता डा. प्रदीप कुमार बलमुचू को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में रामदास सोरेन को भाजपा के प्रत्याशी लक्ष्मण टुडू से हार का सामना करना पड़ा था। फिर 2019 के विधानसभा चुनाव में रामदास सोरेन ने भाजपा प्रत्याशी लखन मार्डी को हराकर जोरदार वापसी की। विधायक के बाद मंत्री के रूप में शुक्रवार को उन्होंने शपथ ग्रहण कर लिया। शपथ ग्रहण से पहले उन्होंने अपने गुरुजी शिबू सोरेन के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान उनका पूरा परिवार मौजूद था। आशीर्वाद लेकर फिर वह राजभवन के लिए निकले थे। रामदास सोरेन को चंपई सोरेन की काट माना जा रहा है।
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