भारतीय नौसेना के बेड़े में जल्द ही 7 नए युद्धपोत और एक पनडुब्बी शामिल होने जा रही है. यह भारत की ओर से अपनी समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा. भारतीय नौसेना को अगले चार महीनों के भीतर 7 युद्धपोत और एक पनडुब्बी मिल जाएगी. इससे नौसेना की निगरानी शक्ति भी बढ़ेगी, जिससे समुद्र में दुश्मन की हर हरकत पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी. नौसेना को जल्द ही एक सर्वे पोत और डाइविंग सपोर्ट पोत भी मिलेगा. इनमें से एक जहाज रूस में बन रहा है, जबकि बाकी भारतीय शिपयार्ड में बने हैं. ये सभी नवंबर तक नौसेना में शामिल हो सकते हैं. यानी हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नौसेना को मजबूत करने के लिए नौसेना के बेड़े में इजाफा किया जाएगा. फिलहाल ये परीक्षण के अलग-अलग चरणों में हैं. इन जहाजों में विध्वंसक, फ्रिगेट, सर्वेक्षक जहाज और पनडुब्बी शामिल हैं. ये सभी अत्याधुनिक संचार साधनों और हथियारों से लैस हैं. सूत्रों के मुताबिक रूस में बन रहा तलवार क्लास का तीसरे बैच का पहला गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट नवंबर तक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगा. इसका वजन 3600 टन से ज्यादा है. इसमें 180 नौसैनिक 9000 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकते हैं. यह फ्रिगेट स्वदेशी ब्रह्मास्त्र “ब्रह्मोस मिसाइल” से लैस है. इस साल के अंत तक विशाखापत्तनम श्रेणी का चौथा और आखिरी गाइडेड मिसाइल विध्वंसक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगा. इस विध्वंसक का वजन 7400 टन है और यह ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस है, जो लंबी दूरी की मिसाइल हैं. इसमें 32 बराक मिसाइलें भी हैं जो 100 किलोमीटर तक वार कर सकती हैं. इसके साथ ही दुश्मन की पनडुब्बियों से निपटने के लिए रॉकेट और टॉरपीडो भी हैं. इसमें दो हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं. यह बेहतरीन संचार साधनों और रडार से लैस है. इसमें 300 नौसैनिकों के साथ 45 दिनों तक समुद्र में रहने की क्षमता है और यह एक बार में 15000 किलोमीटर की यात्रा कर सकता है. दूसरा बड़ा युद्धपोत नीलगिरी श्रेणी का पहला गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट नीलगिरी है. मिसाइल फ्रिगेट नीलगिरी का वजन 6670 टन है. यह 8 लंबी दूरी की ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस है, जिनका इस्तेमाल दुश्मन के जहाजों या ज़मीनी ठिकानों पर किया जा सकता है. यह बराक मिसाइलों, रॉकेट और टॉरपीडो से भी लैस है. दुश्मन की पनडुब्बियों को निशाना बनाने वाला यह पहला माहे क्लास का पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है, जिसे नवंबर में नौसेना में शामिल किया जाएगा. यह तट के पास उथले पानी में पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है. यह टॉरपीडो के साथ-साथ आधुनिक सोनार सिस्टम से लैस है. कलवरी क्लास की छठी और आखिरी पनडुब्बी नवंबर में नौसेना में शामिल होगी. इसमें 43 नौसैनिक बैठ सकते हैं और यह पनडुब्बी 50 दिनों तक पानी के अंदर रह सकती है. यह पनडुब्बी एक बार में 12,000 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है.
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