18वीं बिहार विधानसभा के पहले सत्र का आज आखिरी दिन है। अंतिम दिन की कार्यवाही के लिए सीएम नीतीश बिहार विधानसभा पहुंच गए हैं। बिहार विधानमंडल का सत्र भले ही छोटा रहा हो, मगर इसकी सियासी तपिश किसी पूर्ण सत्र से कम नहीं रही है। पांचवें और अंतिम दिन सदन में सदस्य लगातार पहुंचने लगे है, राजनीति का माहौल गरम है और सत्ता-विपक्ष एक-दूसरे की गैरमौजूदगी और हाजिरी को हथियार बनाकर निशाने साधेंगे। शुक्रवार को सदन में द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर वाद-विवाद, मतदान और उससे संबंधित विनियोग विधेयक का निपटारा किया जाएगा। सत्र के समापन से पहले राज्य सरकार के खर्च से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा होने की संभावना है। गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार ने अपने कार्यालय कक्ष में भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक में हाल ही में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान माइक और साउंड सिस्टम में आए व्यवधान पर विशेष रूप से चर्चा की गई। सत्र के दौरान नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई गई। अधिकतर विधायकों ने संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली, मगर चर्चित नाम अनंत सिंह और अमरेन्द्र नारायण को शपथ से वंचित रहना पड़ा,अनंत सिंह इस वक्त जेल में हैं जबकि अमरेन्द्र पारिवारिक कारणवश उपस्थित नहीं हो सके। उधर, सदन का नेतृत्व सँभालने वालों की ताजपोशी भी पूरी धूमधाम से हुई। प्रेम कुमार को सर्वसम्मति से स्पीकर और नरेंद्र नारायण यादव को डिप्टी स्पीकर निर्वाचित किया गया, जो सत्ता पक्ष की रणनीतिक मजबूती का इज़हार था। लेकिन इस छोटे से सत्र का सबसे बड़ा सियासी मुद्दा बना नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति। विपक्ष का मुखिया सदन में नज़र न आए तो सत्ता पक्ष को राजनीतिक गोलियां चलाने का मौका मिल ही जाता है। सत्ता पक्ष ने इसे जन-जन के मुद्दों से भागने की राजनीति करार दिया, जबकि विपक्ष के कुछ नेताओं ने इसे तेजस्वी की रणनीतिक चुप्पी बताया।
