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विश्व मानव अधिकार दिवस पर मंडल कारा में बंदियों को डीएलएसए की टीम ने अधिकार के बारे में जागरुक किया

बेगूसराय:मंडल कारा में कैदियों के बीच विश्व मानव अधिकार दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.जिसका विधिवत उद्घाटन के विशेष अतिथि डीडीसी सुमेश्वर बहादुर माथुर एवं हेड क्वार्टर डीएसपी निशित प्रिया के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
इस कायर्कम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार से आए पैनल अधिवक्ता मो.वसीम अहमद,विनय रंजन,सुधा कुमारी ने कैदियों को विश्व मानव अधिकार दिवस मौके पर कारा अधिनियम के अन्तर्गत्त बंदियों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक किया।पैनल अधिवक्ताओं के द्वारा  बंदियों को बताया गया कि सर्वप्रथम भारत में 1894 में कारा अधिनियम लागू हुआ और 2016 में भारतीय संसद में Prison Amendment Act पास किया गया, जिसमे बंदियों के लिए अन्य अनुशंसाएं की गई।
जैसे कारा में बंदियों के रहने की व्यवस्था,जेल में अधिक मात्रा में बंदियों को नहीं रखना,चिकित्सकों के द्वारा चिकित्सीय जाँच करवाना, पुरुष एवं महिला बंदियों को अलग-अलग रखना,सिविल मामले एवं आपराधिक मामले के बंदियों को अलग-अलग तथा सजायाफ्ता एवं विचाराधीन बंदियों को अलग-अलग रखना,बंदियों के स्वास्थ्य की समय-समय पर जाँच करना, गर्भवती महिला बंदियों की समय-समय पर चिकित्सीय जाँच एवं चिकित्सीय सलाह के अनुसार दवाई तथा भोजन की व्यवस्था करना, बंदी गर्भवती महिला के प्रसव के लिए 30 दिन के Parole पर छोड़ना, जेल को साफ-सुथरा रखना, आदतन एवं दूर्वांत अपराधियों को साधारण अपराध किये गये बंदियों से अलग रखना, शिक्षा की व्यवस्था करना,
 बंदियों की पुनर्वास की व्यवस्था की जानकारी कारा  में दी गई।साथ ही बंदियों को बताया गया कि बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यकारी अध्यक्ष निर्देश पर बिहार राज्य की जेलों में बंद पड़ी इकाइयों को खोलने के लिए दिशा-निर्देश जेल के पदाधिकारियों को दिया गया है। कई जेलों में कार्यकारी अध्यक्ष के दिशा-निर्देश पर इकाइयों काम करना शुरू कर दिया है और मुक्ति बाँड के नाम से बंदियों के सहयोग से उत्पादन भी शुरू हो गया है जो कि बंदियों के कारा मुक्त के पश्चात उनके जीवन-यापन में सहयोगी होगा।
संविधान के अनुच्छेद 21 में प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के बारे बताया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को उसके प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता से बचित नहीं किया जा सकता है। यद्यपि विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के द्वारा वंचित नहीं किया गया ।इस अवसर पर प्रोवेशन पदाधिकारी संतोष चंद्र बोस,प्रभारी जेल अधीक्षक शिवमंगल प्रसाद, एवं जेल सुभाष कुमार,प्रदीप कुमार मौजूद थे।
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