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सहायिका एवं विद्यालय/ महाविद्यालय के छात्र-छात्रा बन रहें हैं लोकतांत्रिक जागरूकता की प्रेरक शक्ति*

सिवान  बिहार विधानसभा आम निर्वाचन 2025 के मद्देनज़र सिवान जिले में मतदाता जागरूकता अभियान जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी, सिवान डॉ आदित्य प्रकाश के आदेशानुसार किया जा रहा है।  आंगनबाड़ी सेविका सहायिका एवं जीविका दीदियों के द्वारा गाँव-गाँव जाकर ग्रामीण परिवारों को मतदान के महत्व से अवगत कराया जा रहा है। वे लोगों से संवाद कर यह संदेश दे रही हैं कि *हर मतदाता, हर वोट” न केवल एक नारा है, बल्कि लोकतंत्र की सच्ची भावना का प्रतीक है*।  वरीय पदाधिकारी स्वीप कोषांग के मार्गदर्शन में यह महिलाओं द्वारा संचालित एक सशक्त सामाजिक जनआंदोलन बन चुका है। आंगनबाड़ी सेविका/ सहायिका एवं जीविका दीदियाँ केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और लोकतांत्रिक चेतना की नई मिसाल बन रही हैं। इसी क्रम में आज शनिवार को भी जिले के विभिन्न स्थलों पर मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उपस्थित महिलाओं ने कहा कि “मतदान केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। जो हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत बनाता है।” उन्होंने आगे कहा कि मतदान के दिन प्रत्येक महिला यह सुनिश्चित करे कि उसके परिवार और आस-पड़ोस की सभी महिलाएँ मतदान केंद्र तक अवश्य पहुँचें। उन्होंने यह भी सुझाव दी कि छठ महापर्व पर जो प्रवासी मतदाता घर लौटते हैं, उन्हें मतदान कर ही वापस जाने के लिए प्रेरित करें, ताकि जिले में मतदान प्रतिशत में वृद्धि हो और लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हों। कार्यक्रमों के दौरान जीविका दीदियों ने अलग-अलग तरीकों से मतदान का संदेश फैलाया। गाँवों में रैलियाँ, प्रभात फेरी, लोकगीत, नारे लेखन, रंगोली और मेहंदी प्रतियोगिता जैसे आकर्षक आयोजनों के माध्यम से उन्होंने मतदान के महत्व को जन-जन तक पहुँचाई। दीदियाँ हाथों में लिखे प्रेरक संदेशों जैसे “पहले मतदान, फिर जलपान”, “मेरा वोट, मेरा अधिकार” और “लोकतंत्र की शान – है मतदान” वाले बैनर लेकर लोगों को प्रेरित करती नजर आईं। इन प्रयासों से ग्रामीण समुदायों में जागरूकता और भागीदारी की भावना उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। कार्यक्रम के दौरान शपथ दिलाई गई कि वे स्वयं मतदान करेंगी और अपने समुदाय में 100 प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि “सिवान की जीविका दीदियाँ अब केवल परिवार की आर्थिक रीढ़ नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव और लोकतांत्रिक चेतना की प्रतीक बन चुकी हैं।” बताया गया कि जिस प्रकार जीविका की महिलाएँ आज आत्मनिर्भरता की दिशा में उदाहरण पेश कर रही हैं, उसी प्रकार वे लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदारी निभाकर समाज को सही दिशा में आगे बढ़ा सकती हैं।  जीविका दीदियाँ आज परिवर्तन की अग्रदूत बन चुकी हैं। उनके निरंतर प्रयासों से गाँवों में लोकतांत्रिक चेतना की नई लहर उठी है, जिससे मतदाताओं के बीच मतदान को लेकर उत्साह और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हुआ है। पूरे आयोजन के दौरान वातावरण सामाजिक जागरूकता और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना से भरा रहा।
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