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सिवान महराजगंज- स्कुल भवन के अभाव में खुले आसमाँ के नीचे पढ़ने को मज़बूर छात्रों

बिहार के महराजगंज क्षेत्र में भवन के अभाव में छात्र -छात्राओं  खुलें आसमान के नीचे पठन-पाठन  को विवश हैं. छात्रों को पाठन करने में  काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं.  विद्यालय के  छात्र चिलचिलाती धूप,  ठण्डी  वह बरसात में खुले आसमान के नीचे पढ़ने के लिए मजबूर हैं. मामला महराजगंज क्षेत्र के दरौंदा प्रखंड के पंचायत हड़सर के मीराचक  में संचालित नया प्रथमिक विद्यालय मीराचक  का हैं. जहाँ खुले आसमान के नीचे भवन के अभाव में पेड़ की छाव में बैठकर पठन-पठान कराया जा रहा हैं. इसे देखते हुए गर्मी के दिनों में खुले आसमान के नीचे पढ़ाई  करने को छात्र -छात्राएं विवश हैं तो बरसात के दिनों में क्या हालीवुड होते होंगे .सिर्फ स्कुल कैंपस में सिर्फ एक रसोइया घर हैं. छात्र -छात्राएं  का नामांकन लगभग 45 के आस  पास हैं. वीं विद्यालय में चार शिक्षक है. साथ ही एमडीएम बिल्कुल मेनू के अनुसार तथा  अपने घर की तरह बनाया भोजन मुहैया कराते हैं स्कुल के प्रिंसिपल अर्चना कुमारी . जो काफी स्वादिष्ठ  होता हैं. वर्ग एक से पांच  तक संचालित होता हैं. बिहार में हर साल शिक्षा एंव उसके व्यवस्था में सुधार लाने के लिए करोड़ों खर्च किए जाते हैं. मगर ये तसवीर इस बात की पोल खोलती दिख रही हैं. ग्रामीण का कहाना है कि कई बार अधिकारियों को इस बात से अवगत कराया गया . मगर आज तक उनकी बात पर ध्यान नहिं दिया गया. वहीं स्कुल के प्रिंसिपल अर्चना कुमारी ने स्कुल के भवन के लिए वरीय पदाधिकारियों से अवगत कराया गया  इस विद्यालय का संचालन 2005 से किया जा रहा हैं. खुले आसमान के नीचे बच्चे अपने भविष्य गढ़ने को मज़बूर हैं. ठण्ड वह पछुवा हवा के बीच बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ने को मज़बूर हैं. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण आजतक  इसका यही हाल हैं. लेकिन अब तक भवनों नहिं बन पाया .लेकिन इस स्कुल की तकदीर और तसवीर नहिं बदली . विकास के मामले में बिहार भले ही देश में चमकता दिखाइ दे रहा हैं, पर स्कुल शिक्षा के मामले में उसे अभी लम्बा सफ़र तय करना हैं. राज्य में अभी भी लगभग बहुत  ऐसा स्कुल है बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ रहे है साथ ही दो कमरों में सभी कक्षाये चल रहे हैं कितने स्कुल के. लेकिन शायद अधिकारी को यह नहिं मालूम की दुर्भाग्य  है मुलायम विद्यालय खुद भवन के लिए तरस रह हैं. जमीन उपलब्ध होने के बाद भी .

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