बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार एक अनोखी और मानवीय पहल देखने को मिल रही है। चुनाव आयोग ने उन लोगों के लिए “होम वोटिंग” सेवा शुरू की है जो उम्रदराज़ या शारीरिक रूप से अक्षम हैं और मतदान केंद्रों तक नहीं पहुँच सकते। बुधवार, 29 अक्टूबर से शुरू हुई यह व्यवस्था दो दिनों तक चलेगी। पटना जिले में इसकी शुरुआत के साथ ही आयोग ने दिखा दिया है कि सच्चा लोकतंत्र वही है जिसमें हर नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित हो। इस सेवा का लाभ वही मतदाता उठा रहे हैं जिन्होंने पहले से फॉर्म 12डी भरकर अपने बूथ स्तर अधिकारी के माध्यम से रिटर्निंग ऑफिसर को आवेदन भेजा था। मतदान दल सुबह से ही विशेष वाहनों में रवाना होकर पात्र मतदाताओं के घर पहुँच रहे हैं। अधिकारी पहचान की पुष्टि के बाद पोस्टल बैलेट देते हैं और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। मत एकत्र करने के बाद उन्हें सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रखा जा रहा है और सभी मतपत्र रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय में जमा किए जा रहे हैं। पटना जिले में कुल 66,296 लोग इस सेवा के पात्र हैं। इनमें 32,036 दिव्यांग मतदाता और 34,260 ऐसे वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं जिनकी उम्र 85 वर्ष से अधिक है। पहले दिन फुलवारी शरीफ और पटना साहिब क्षेत्रों में टीमों ने सैकड़ों घरों का दौरा किया। आने वाले दिनों में यह सेवा दानापुर, मसौढ़ी, फतुहा और बिहटा तक पहुँचेगी। मतदान अधिकारियों का कहना है कि इन दो दिनों में लगभग चार हजार घरों तक पहुँचा जाएगा। इस सेवा ने उन मतदाताओं के चेहरे पर मुस्कान ला दी है जो अब तक केवल टीवी पर चुनाव देखते थे। फुलवारी शरीफ की 85 वर्षीय अशगरी बानो ने कहा कि अब वे बिना बाहर गए भी वोट डाल सकीं और उन्हें गर्व महसूस हो रहा है। 90 वर्षीया अनवरी खातून और दिव्यांग मतदाता सुजीत कुमार ने भी कहा कि घर पर मतदान सुविधा ने उन्हें लोकतंत्र से जोड़ा है। कई मतदाताओं ने मतदान के बाद “जय हिंद” के नारे लगाए।मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि यह सेवा बिहार में पहली बार लागू की गई है। इससे पहले इसे कर्नाटक, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में सफलता मिली थी। चुनाव आयोग का उद्देश्य यही है कि कोई भी व्यक्ति उम्र या शारीरिक कठिनाई के कारण मतदान से वंचित न रहे। आयोग ने इसे अपने “Accessible Election” मिशन का हिस्सा बताया है, जो सभी मतदाताओं को समान अवसर देने की दिशा में काम कर रहा है। प्रत्येक मतदान दल को GPS ट्रैकिंग सुविधा वाले वाहन में भेजा गया ताकि उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके। पूरी प्रक्रिया जिला निर्वाचन अधिकारी और पुलिस अधीक्षक की निगरानी में की जा रही है। मतदान पूरा होने के बाद सभी पोस्टल बैलेट्स को सीलबंद कर स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा। आयोग का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य केवल सुविधा नहीं, बल्कि विश्वास पैदा करना है
