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स्त्री रोगों एवं भ्रूण की जन्मजात बीमारियों में अल्ट्रासाउंड की जांच को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न

कार्यशाला में देश के जाने माने करीब 200
रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ हुए शामिल
अल्ट्रासाउंड जांच सस्ता और एक महत्वपूर्ण उपकरण है,जो रेडिएशन फ्री भी है
पटना (शोएब कुरैशी)  मगध सोसाइटी ऑफ  अल्ट्रासाउंड इन मेडिसिन एंड बायोलॉजी  की ओर से पटना के होटल चाणक्य में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुआ।इस में देश के विभिन्न राज्यों के जाने माने करीब 200 से अधिक रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ शामिल हुए।कार्यशाला में आयोजन समित के अध्यक्ष डॉ प्रवीण कुमार ने इलास्टोग्राफी के बारे में विस्तृत जानकारी दिए। वहीं आयोजन समिति के सचिव एवं पटना के जाने माने अल्ट्रा साउंड विशेषज्ञ डॉ रविप्रकाश ने विस्तार से स्तन के गांठ एवं इलास्टोग्राफी के बारे में  विस्तार से चर्चा करते हुए, कहा कि ब्रेस्ट का इलास्टिग्राफी जांच बिलकुल सस्ता एवं रेडिशियन फ्री है। इंडियन फेडरेशन ऑफ अल्ट्रासाउंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शबनम भंडारी ने गर्भाशय के गांठ एवं स्तन गांठ के बारे में विस्तृत जानकारी दिए। दिल्ली की  डॉ मंजुला वीरमणि ने गर्भाशय एवं अंडाशय के गांठ को लेकर विशेष जानकारी दी। विश्व विख्यात अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ अशोक खुराना ने गर्भाशय में होने वाले बीमारियों की 3 डी अल्ट्रासाउंड पर विशेष कार्यशाला किए। इस मौके पर बैंगलुरु के डॉ बी एस रामामूर्ति ने भ्रूण में पलने वाले बच्चों के जन्मजात बीमारियों के बारे में जानकारी दिए। बिहार के प्रथम अल्ट्रासाउंड क्लिनिक के संचालक एवं मगध अल्ट्रासाउंड के मुख्य संरक्षक डॉ प्रगति सिंहा ने अल्ट्रासाउंड से होने वाली जांच की विस्तृत जानकारी दी।
इस से  पूर्व कार्यशाला का उद्घाटन बिहार के जाने माने मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ वरुण कुमार सिंहा ने किया।इस दो दिवसीय कार्यशाला में शामिल होने वाले अल्ट्रासाउंड के विशेषज्ञों ने  मुख्य रूप से बताया कि अल्ट्रासाउंड स्त्रियों के रोगों के निदान और भ्रूण के जन्मजात बीमारियों की पहचान में एक सस्ता और  महत्वपूर्ण उपकरण है। यह तकनीक ध्वनि तरंगों का उपयोग करके भ्रूण के विकास और संरचना की विस्तृत छवियां बनाती है, जिससे स्त्री रोग विशेषज्ञ को गर्भाशय में होने वाली कई समस्याओं का पता लगाने में मदद मिलती है। अल्ट्रासाउंड का उपयोग गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और अंडाशय में असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। अल्ट्रासाउंड का उपयोग भ्रूण में स्पष्ट संरचनात्मक जन्मजात दोषों जैसे कि मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, हृदय, गुर्दे और हड्डियों के दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस मौके पर डॉ राजीव कुमार, डॉ अशोक मंडल, डॉ बिम्मी कुमारी, डॉ दीपक कुमार एवं ऐश्वर्या ने कार्यक्रम का संचालन किया ।
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