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मथुरा नगरी में एक नेशनल सेमिनार “मेरा भारत महान गंगा जमुनी तहजीब का निशान

देवबंद, अलीगढ़ एवं झांसी विश्वविद्यालय के विद्वत जनों ने शिरकत की। प्रोग्राम का प्रारंभ स्कूल के बच्चों ने विश्व प्रसिद्ध उर्दू कवि अहमद अली बरकी आजमी के लिखित स्कूल तराने से किया।
ए• एच• एम स्कूल हमारी जान, हमारी शान
देता हमको गीता और कुरान का ज्ञान।
इससे वातावरण सुखद और खुश गवार हो गया। अब साहित्यिक गतिविधियां प्रारंभ हुई। प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार मथुरा के प्रथम अंग्रेजी के पी. एच.डी और डी. लिट प्रोफेसर डॉक्टर जहीर हसन की पुस्तक मिर्ज़ा ग़ालिब और जॉन कीट्स का विमोचन आगरा से आए असिस्टेंट कमिश्नर जनाब अलीन कौसर साहब ने किया। विद्वत लेखक ने अपनी पुस्तक का परिचय करते हुए कहा कि विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों की कृतियों का तुलनात्मक अध्ययन एक ऐसा रुचिकर विषय है, जिसका आनंद न केवल लेखन बल्कि पाठकों को भी पूर्ण आनंद प्राप्त होता है तथा ऐसा कार्य साहित्य जगत में एक विषय स्थान प्राप्त करता है। विमोचन करता कमिश्नर साहब ने कहा की डॉ जहीर हसन की यह कृति उर्दू साहित्य के इतिहास में तो अमर हो चुकी है, विश्व साहित्य में भी यह स्थान प्राप्त करेगी।
तत्पश्चात विषय संबंधी मक़ालत पेश किए गए। सबसे पहले दिल्ली से पधारी चश्मा फारूकी साहिब ने भारत देश की सभ्यता और संस्कृति में प्रेम और सद्भाव के महत्व को उजागर किया, तत्पश्चात बुंदेल विश्वविद्यालय से आए डॉक्टर मोहम्मद अयूब अंसारी साहब ने अपनी शोध पत्र में भारत की गंगा जमुनी धरोहर की भूरी-भूरी प्रशंसा की। जवाहरलाल नेहरू, दिल्ली से पधारे डॉ शफी अयूब साहब ने महफिल में रंग, नूर, एकता भाईचारा जैसी देश की मौलिक गुणवत्ताओं का प्रस्तुत विशन किया, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से पधारे डॉ आसिफ अली साहब ने नजीर अकबर आबादी को अपना विषय केंद्र बनाकर विस्तृत व्याख्यान दिया कि भारत देश में किस प्रकार विभिन्न धर्म और जातियों के लोग किस प्रकार एक दूसरे से मेल मिलाप में एक दूसरे के धार्मिक उत्सव में भी शामिल होकर खुशियां मनाते हैं। मेरठ से ही पधारे डॉक्टर इरशाद साहब ने महाकवि गालिब को अपना विषय केंद्र बनाकर गालिब के उन काव्यगत गुना का वर्णन किया, जिन गुना ने गालिब को संसार का महानतम कवि बना दिया।
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