अलीगढ़ 19 जुलाई मनीषा ।शुक्रवार को क्वारसी फ़ार्म स्थित कृषि कल्याण केंद्र पर कृषि रक्षा अनुभाग द्वारा विभिन्न पारिस्थितिकी संसाधनों के माध्यम से कीट रोग नियंत्रण योजना अंतर्गत प्रसार कर्मचारियों एवं कृषकों को आईपीएम तकनीकी की जानकारी दी गई। ज़िला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि आईपीएम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग आप लोगों और पर्यावरण के लिए जोखिम को कम करते हुए कीट समस्याओं को हल करने के लिए कर सकते हैं। आईपीएम का उपयोग सभी प्रकार के कीटों को कहीं भी प्रबंधित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि शहरी, कृषि, और जंगली या प्राकृतिक क्षेत्रों में आईपीएम तकनीकी कारगर है।
ज़िला कृषि रक्षा अधिकारी द्वारा कृषको एवं कर्मचारियों को बताया कि आईपीएम का उपयोग कृषि, बागवानी, वानिकी, मानव आवास, सांस्कृतिक संपत्ति के निवारक संरक्षण और सामान्य कीट नियंत्रण में किया जाता है, जिसमें संरचनात्मक कीट प्रबंधन, टर्फ कीट प्रबंधन और सजावटी कीट प्रबंधन शामिल हैं। उप कृषि निदेशक, कृषि रक्षा सतीश मलिक द्वारा बताया गया कि इसमें मौसम, फसल की वृद्धि, कीट आबादी, प्राकृतिक दुश्मन, कीट नियंत्रण गतिविधियाँ भी शामिल हो सकती हैं। कीट आबादी में रुझान की पहचान करने और यह देखने के लिए कि प्रबंधन कार्यक्रम कितने अच्छे से काम कर रहे हैं, स्पष्ट रिकॉर्ड रखना महत्वपूर्ण है। कुछ कीटनाशक उपयोग रिकॉर्ड कानून द्वारा आवश्यक हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिजेंटा कंपनी से डॉ होडिल कुमार द्वारा नवीनतम रसायनों एवं ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों के छिड़काव के बारे में बताया गया। प्रशिक्षण एवं गोष्ठी में संयुक्त कृषि निदेशक, उप कृषि निदेशक शोध उप कृषि निदेशक कृषि रक्षा कृषि रक्षा अधिकारी एवं सिजेंटा कंपनी के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।