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ममता सरकार ने रोक दी कोलकाता मेट्रो की रफ्तार, संसद में सरकार ने बताया कहां कैसे और कितना अटका पड़ा काम

कोलकता मेट्रो के बनने की रफ्तार थम सी गई है. इसकी वजह कोई और नहीं बल्कि प्रदेश की ममता सरकार है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में सांसद कल्याण बनर्जी की ओर से पूछे सवाल में यह बताया कि बंगाल की तृणमूल सरकार के रवैये की वजह से मेट्रो के कई प्रोजेक्ट या तो रुके पड़े हैं या बहुत ही धीमी गति से उन पर काम हो रहा है. अश्विनी वैष्णव ने बताया कि साल 1972 से लेकर 2014 तक (42 सालों में) कोलकता मेट्रो का विस्तार महज 28 किलोमीटर का था. जबकि साल 2014 से 2025 के बीच (11 सालों में) में यह बढ़कर 45 किलोमीटर का हो गया. केंद्र का राज्य सरकार पर आरोप है कि वह प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में सहयोग नहीं कर रही. जमीन अधिग्रहण और अनिधिकृत दुकानों को हटाने समेत अन्य कई मामलों में सहयोग नहीं किया जा रहा है. रेल मंत्री अश्निनी वैष्णव ने कहा कि वर्तमान में कोलकाता और उसके आसपास कुल 52 किलोमीटर के 4 मेट्रो कॉरिडोर निर्माणाधीन हैं, जिनमें से 20 किलोमीटर राज्य सरकार से संबंधित भूमि अधिग्रहण और उपयोगिता स्थानांतरण संबंधी मुद्दों की वजह से अटके हुए हैं. इसी तरह जोका-एस्प्लेनेड कोलकाता मेट्रो लाइन पिछले 5 साल से निर्माणाधीन है. यह इसलिए रुका हुआ है क्योंकि राज्य सरकार ने जोका-एस्प्लेनेड कॉरिडोर को लेकर खिद्दरपुर स्टेशन के लिए जरूरी जमीन के एक छोटे से टुकड़े को मंजूरी देने में 5 साल लगा दिए.सरकार की ओर से संसद में दिए गए जवाब के अनुसार, रेलवे ने 24 अगस्त 2020 को ही जमीन का प्रस्ताव भेज दिया था. लेकिन 5 साल बाद जुलाई 2025 में इस पर मंजूरी दी गई. स्टेशन के लिए राज्य सरकार की 837 वर्ग मीटर स्थायी और 1,702 वर्ग मीटर अस्थायी जमीन की जरूरत है. इसको लेकर कई दौर की बैठकें भी हुईं, फिर भी राज्य सरकार ने आधे दशक तक कोई कार्रवाई नहीं की. शेष 6.26 किलोमीटर मेट्रो का काम इस जमीन के बिना आगे नहीं बढ़ सकता. एस्प्लेनेड मेट्रो स्टेशन पर रेलवे द्वारा नई जगह बनाने के बाद भी 528 दुकानें नहीं हटाई गईं. साढ़े तीन साल से राज्य सरकार एस्प्लेनेड मेट्रो स्टेशन के निर्माण कार्य में बाधा बन रही 528 अनधिकृत दुकानों को हटाने में विफल रही है. जबकि रेलवे ने पहले ही अस्थायी ढाँचे बना लिए हैं. साथ ही डॉ. बीसी रॉय मार्केट की 528 अनधिकृत दुकानों को अस्थायी रूप से स्थानांतरित किया जाना चाहिए. रेलवे ने अपने खर्चे पर वैकल्पिक स्थानों का निर्माण किया. और फरवरी 2022 में राज्य सरकार को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए अनुरोध पत्र भी भेज दिया गया, लेकिन उसकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर साढ़े तीन साल से अधिक समय से मामला लंबित है. केंद्र सरकार के अनुसार, कोलकाता का न्यू गरिया-दमदम एयरपोर्ट मेट्रो पिछले 10 महीनों से अटका हुआ है. इंजीनियरिंग या रेलवे की समस्याओं के कारण नहीं, बल्कि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार की वजह से है. राज्य सरकार ने चिंगरीघाटा में यातायात-मार्ग-परिवर्तन एनओसी जारी करने से इनकार कर दिया. रेलवे ने इस साल फरवरी में ही मार्ग-परिवर्तन का काम पूरा कर लिया था. जबकि एनओसी का अनुरोध दिसंबर 2024 से ही लंबित है. कोलकाता पुलिस और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ कई बैठकों के बावजूद, अभी भी मंजूरी अटकी हुई है. और इस वजह से पुल निर्माण कार्य में देरी हो रही है और लाखों यात्रियों को परेशानी हो रही है. संसद को दिए गए जवाब में बताया गया कि नई गरिया-एयरपोर्ट लाइन निर्माण की वजह से नहीं, बल्कि टीएमसी की नौकरशाही नाकाबंदी के कारण विलंबित है. नोआपाड़ा-बारासात मेट्रो प्रोजेक्ट भी इसलिए रुकी हुई है क्योंकि ममता सरकार ने अब तक अतिक्रमण नहीं हटाए हैं और न ही जरूरी जमीन का अधिग्रहण किया है. करीब लगभग 23,000 वर्ग मीटर जमीन अभी भी लंबित है, जिसमें 1,277 झोपड़ियां और 764 दुकानें शामिल हैं. केंद्र द्वारा पहले के खंडों को पूरा करने के बावजूद 7.5 किलोमीटर का काम रुका हुआ है. रेल मंत्रालय की ओर से जारी जवाब में कहा गया है कि राज्य ने रेलवे प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक भूमि का महज 27% ही हिस्सा स्वीकृत किया है, जिससे 73% हिस्सा लंबित है. अहम प्रोजेक्ट्स में 0 प्रगति हुई है. नवद्वीप घाट-नवद्वीप धाम जैसी लाइनों के लिए, धनराशि उपलब्ध होने के बावजूद अभी तक कोई भूमि अधिग्रहित नहीं की गई है. इसकी देरी की वजह फाइलों और स्वीकृतियों में देरी होना है और राज्य सरकार के पास फाइलें रुकी हुई हैं मंजूरी नहीं मिल रही. ममता सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्र ने बताया कि अतिक्रमणों को छुआ तक नहीं गया है. राज्य ने रेलवे मार्ग को अवरुद्ध करने वाले अतिक्रमणों को नहीं हटाया है, जिससे काम शुरू नहीं हो पा रहा है. केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में रेल प्रोजेक्ट में तेजी लाना चाहती है और इसके लिए भारी मात्रा में धनराशि भी आवंटित की गई है. बंगाल के लिए सालाना रेलवे परिव्यय कथित तौर पर बढ़ाकर 13,955 करोड़ कर दिया गया. साथ ही कई प्रोजेक्ट स्वीकृत और टीमें गठित की गई है जिसमें सर्वेक्षण और निर्माण एजेंसियां नियुक्त करना शामिल है. इसके अलावा रुकी हुई लाइनों के लिए धनराशि भी जारी की गई है जिसमें नवद्वीप घाट-नवद्वीप धाम जैसे प्रोजेक्ट्स शामिल हैं.

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