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महिला अपराध और सुरक्षा से जुड़े कानूनों का प्रचार जरुरी है – जस्टिस अनुभा रावत चौधरी

महिला अपराध और सुरक्षा से जुड़े कानूनों का प्रचार जरुरी है – जस्टिस अनुभा रावत चौधरी

रांची: दी इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की वीमेन मेंबर्स एक्सीलेंस कमिटी, नई दिल्ली की द्वारा महिला सशक्तिकरण हेतु सी सी एल के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का उघाटन करते हुए मुख्य अतिथि और झारखण्ड हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनुभा रावत चौधरी ने महलाओं से सम्बंधित कानूनों की विवेचन करते हुए कही की देश में महिलाओं को मजबूत बनाने और समाज में महिलाओं के उत्पीड़न को समाप्त करने हेतु काफी मजबूत कानून बने हुए है लेकिन अशिक्षा और प्रचार के अभाव में इन कानूनों के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण आज भी देश के अधिशंख्य महिलायें उत्पीड़ित हो रही है और अपने अधिकार से वंचित रह जाती है। हालाँकि देश और राज्य की सरकारें इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है जिसके कारण आज दिनों दिन किसी भी तरह से अत्याचार या हिंसा से ग्रसित महिलायें सामने आकर कानूनी और अन्य ढंग से प्रतिरोध कर रही हैं। उन्होंने इस नेशनल कांफ्रेंस में उपस्थित महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, महिला वकील और अन्य प्रोफेशनलों से कहा कि उन्हें महिला सशक्तिकरण से जुड़े कानूनों के बारे में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जागरूक बनायें।

उद्धघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए इस नेशनल कांफ्रेंस के विशिष्ट अतिथि और सी सी एल, रांची के डायरेक्टर फाइनेंस सीए पवन मिश्रा ने महिला सशक्तिकरण से सम्ब्नधित इस दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन को महत्वपूर्ण बताते हुए जानकारी देते हुए बताया कि सी सी एल भी महिला सशक्तिकरण हेतु कृतसंकल्प है और आज सी सी एल में भी ऊँचे ऊँचे पदों पर महिला कर्मी कार्यरत है।

एडिशनल अटॉर्नी जनरल अधिवक्ता दर्शना पोद्दार ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 पर जानकारी देते हुए बताया कि यह अधिनयम उन संस्थाओं में लागू होता है जंहा दस या दस से ज्यादा लोग कार्यरत होते हैं। यह कानून कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को अवैध करार देता है और यौन उत्पीड़न के विभिन्न प्रकारों को चिह्नित करता है, और यह बताता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की स्थिति में शिकायत किस प्रकार की जा सकती है। इस क़ानून में यह ज़रूरी नहीं है कि जिस कार्यस्थल पर महिला का उत्पीड़न हुआ है,वह वहां नौकरी करती हो। उन्होंने बताया कि शिकायत करते समय घटना को घटे तीन महीने से ज्यादा समय नहीं बीता हो, और यदि एक से अधिक घटनाएं हुई है तो आखरी घटना की तारीख से तीन महीने तक का समय पीड़ित के पास है।

इस नेशनल कांफ्रेंस के दूसरे सत्र में को महिलाओं के अद्वितीय शक्तियों कि खोज पर बोलते हुए देश के महशूर महिला पर्वतरोही श्रीमती प्रेमलता अग्रवाल ने अपने आप को उदाहरण देते हुए बताया कि भारत जैसे देश में एक महिला का पर्वतरोही का होना सोचना ही मुश्किल था लेकिन जब हम महिला कोई भी कार्य करने को थान लें तो वह कार्य करके ही मानते हैं। उन्होंने बताया कि समाज यह परिवार शुरुआत में एक महिला होने के नाते हमारे कामों को एक बार रोकने कि कोशिश करते है लेकिन यदि जब हम अपने सपने को साकार करने के लिए भरपूर मेहनत करते हैं तो हमें हमारे परिवार और समाज का भी भरपूर सहयोग मिलता है।

महिला सशक्तिकरण से जुड़े ब्रेकिंग बैरिअर पर बोलते हुए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली कि कुलपति प्रोफेसर शांतिशरी धूलिपुड़ी पंडित ने कही कि कोई भी समाज या देश तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक कि उस देश और समाज में महिला और पुरुषों को बराबर अधिकार और अवसर प्राप्त नहीं हो। उन्होंने बताया कि आज देश में महिलायें छाए शिक्षा का क्षेत्र हो, रक्षा का क्षेत्र हो, व्ययसाय का क्षेत्र हो हर जगह नेतृत्वा कर रही है। उन्होंने कहा कि हालाँकि हमारी इतिहास में सदा से महिलाओं को बराबर समझा जाता था बल्कि पुरुषों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण समझा जाता था लेकिन बहरी आक्रांताओं के आने से लेकर देश कि आज़ादी तक महिला लगभग घर कि चारदीवारी में कैद होकर रह गयी थी लेकिन आज धीरे धीरे महिला अपने परिश्रम और बूढी के बल पर जबरदस्त ढंग से आगे बाद रही है और इसमें समाज और परिवार कि महत्वपूर्ण भूमिका को भी नाकारा नहीं जा सकता।

आज के अंतिम सत्र को सम्बोधित करते हुए वेल्स्परिंग कंस्यूमर प्राइवेट लिमिटेड के सी एम् ओ और आसाया की संस्थापिका सदस्य श्रीमती इति बियानी ने कहा कि कोई भी व्यवसाय को शुरू करने के लिए जोखिम लेने के साथ साथ परफेक्शन और समाज की आवश्यकता की जानकारी होना आवश्यक है और चूँकि अधिकतर घर महिलायें ही संभालती हैं इस कारन उन्हें समाज की आवश्यकता और वास्तु की परफेक्शन की पुरुषों से बेहतर जानकारी होती है इस कारन आज हम देख सकती हैं की व्यवसाय की दुनिया में भी महिलायें अपनी नेतृत्वा क्षमता का भरपुर प्रदर्शन कर रही है।

इस कांफ्रेंस की चेयरपर्सन और रीजनल कौंसिल सदस्य सीए मनीषा बियानी ने कहा की यह नेशनल कॉनफेरेन्स रांची में महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इस कांफ्रेंस के माध्यम से हम रांची के महिला प्रोफेशनल्स अपने अपने प्रोफेशन में महिलाओं को और अधिक से अधिक आगे लायें इसपर विस्तृत परिचर्चा होगी।उद्धघाटन सत्र से पहले मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और इस नेशनल कांफ्रेंस में भाग ले रहे प्रोफेशनलों को सम्बोधित करते हुए इंस्टिट्यूट के रांची शाखा की चेयरपर्सन सीए श्रद्धा बगला ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण से सम्बंधित इस तरह का यह पहला नेशनल कॉन्फ्रेंस है जिसमे सरे तकनिकी सत्र महिला से जुड़े विषयों पर रखा गया है।
आज के सत्र के समाप्ति इंस्टिट्यूट कि रांची शाखा के सचिव सीए हरेन्दर भारती के धन्यवाद् ज्ञापन से हुआ। उद्धघाटन सत्र में इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के पूर्व अध्यक्ष सीए बिनोद बांका, सीए राजेंद्र बंसल, सीए परमानन्द दुबे, सीए महेन्दर जैन, सीए आर एन सुर, सीए जे पी शर्मा भी उपस्थित थे।

इस नेशनल कांफ्रेंस के आयोजन में रांची शाखा के उपाध्यक्ष सीए उमेश कुमार, कोषाध्यक्ष सीए अभिषेक केडिया, सी पी कमिटी के अध्यक्ष निशांत मोदी, कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व अध्यक्ष सीए प्रभात कुमार , सीए पंकज मक्कड़, इस कांफ्रेंस के को -कन्वेनर सीए रुचिका पोद्दार, सीए कंचन माहेश्वरी, सीए ऋचा अग्रवाल, सीए अदिति पोद्दार, सीए सृष्टि सिंघानिया, सीए अंकित राजगारिया, सीए हर्षित गोयल, सीए रवि सामोता आदि का महत्वपूर्ण योगदान था।

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