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11 साल के बाद नरेंद्र दाभोलकर को मिला न्याय, दो आरोपियों को हुई आजीवन कारावास की सजा

साल 2013 में हुए अंधविश्वास उन्मूलन समिति के दिवंगत अध्यक्ष नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड मामले में 11 साल के बाद आज यानी 10 मई को पुणे की एक विशेष अदालत में फैसला सुनाया गया है. इस मामले में 5 आरोपियों में से 2 को आरोपी ठहराते हुए सजा सुनाई है, जबकि बाकी 3 आरोपियों को सबूतों के अभाव ती वजह से बाइज्जत बरी कर दिया गया है. 20 अगस्त साल 2013 में महाराष्ट्र के पुणे शहर में कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या का मामला सामने आया, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया था. आज 11 साल के बाद इस मामले में 5 में से 2 आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा दी गई है और इसके साथ ही दोनों आरोपियों पर 5-5 लाख का जुर्माना लगाया गया है. कोर्ट के नियमों के मुताबिक, जुर्माना न दे पाने पर उनकी सजा में 1 साल का अतिरिक्त समय जुड़ जाएगा. इस मामले में सीबीआई ने वीरेंद्र सिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर, विक्रम भावे, सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को आरोपी के तौर पर पकड़ा था, जिन्हें लेकर जांच की जा रही थी. नरेंद्र दाभोलकर के वकील संजीव पुनालेकर ने वीरेंद्र सिंह तावड़े को इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड और विक्रम भावे को हत्या में इस्तेमाल हुए हथियार छिपाने का आरोप लगाया था, लेकिन उनके खिलाफ सबूत न मिल पाने की वजह से आरोपी वीरेंद्र सिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को बरी कर दिया गया. इस हत्या में आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को आईपीसी की धारा 302 के तरह दोषी पाया गया है.

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