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नॉर्थ ईस्ट में उग्रवाद का खात्मा! मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी, उल्फा ने डाले हथियार, 40 साल में पहली बार हुआ ऐसा

पूर्वोत्तर में शांति प्रयास की दिशा में शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भारत सरकार का ऐतिहासिक समझौता हुआ. 40 साल में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा ने भारत और असम सरकार के साथ शांति समाधान समझौते पर दस्तखत किए. शांति समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और उल्फा के अरबिंद राजखोवा नीत वार्ता समर्थक गुट के एक दर्जन से अधिक शीर्ष नेता उपस्थित रहे. असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रहेगी. असम के लोगों के लिए और भी बेहतर रोजगार के साधन राज्य में मौजूद रहेंगे.  इनके काडरों को रोजगार के पर्याप्त अवसर सरकार मुहैया करवाएगी.  उल्फा के सदस्यों को जिन्होंने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ दिया है, उन्हें मुख्य धारा में लाने का भारत सरकार हर संभव प्रयास करेगी. उल्फा यानी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के एक धड़े के 20 नेता पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में थे और भारत सरकार, असम सरकार के आला अधिकारी इसे समझौते के मसौदे पर राजी करवा रहे थे. उल्फा का यह धड़ा अनूप चेतिया गुट का है, जबकि दूसरा गुट परेश बरुआ की अगुवाई में अब भी सक्रिय है. इस समझौते के बाद पूर्वोत्तर में उग्रवाद समाप्ति की दिशा में भारत सरकार का बहुत बड़ा कदम होगा. दरअसल, 2011 से उल्फा के इस गुट ने हथियार नहीं उठाए हैं, लेकिन यह पहली बार है जब बाकायदा एक शांति समझौते का मसौदा तैयार किया गया है और दोनों पक्षों के नुमाइंदों ने उस पर हस्ताक्षर किए हैं. पूर्वोत्तर में सशस्त्र उग्रवादी संगठनों से इस साल भारत सरकार का यह चौथा बड़ा समझौता है. इस शांति समझौते से असम में दशकों पुराने उग्रवाद के खत्म होने की उम्मीद है. उल्फा का गठन 1979 में “संप्रभु असम” की मांग को लेकर किया गया था. तब से, यह विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है जिसके कारण केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था.

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