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महुआ मोइत्रा को फिलहाल SC से राहत नहीं, निष्कासन के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार

घूस लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में लोकसभा से निष्कासित टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को फिलहाल राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने निष्कासन के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि महुआ का संसद से निष्कासन बना रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल उनको अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती.  ये मामला इतना आसान नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने महुआ की संसद कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत देने की अर्जी को ठुकरा दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट मोइत्रा के निष्कासन के खिलाफ अर्जी का परीक्षण करेगा. अदालत ने लोकसभा के महासचिव को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी.टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर को पेश की गई ‘कैश फॉर क्वेरी’ में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. महुआ मोइत्रा की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी आज कोर्ट में पेश हुए. वकील सिंघवी ने कहा कि महुआ को केवल अपनी लॉगिन आईडी शेयर करने की वजह से निष्कासित किया गया है. उन्होंने कहा कि रिश्वत के आरोपों पर गौर करना होगा. वहीं अदालत ने महुआ मोइत्रा से पूछा कि क्या वह हीरानंदानी के साथ OTP साझा करने की बात स्वीकार करती हैं. वहीं सिंघवी ने कहा कि ये सब सासंद अपने सचिवों के साथ करते हैं. सर्वोच्च अदालत महुआ मोइत्रा की अयोग्यता का परीक्षण करेगी. आदालत ने लोकसभा सचिव को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है. बता दें कि महुआ ने संसद सदस्यता से अयोग्यता के फैसले को चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम याचिका में उठाए गए मुद्दों की मेरिट पर फिलहाल टिप्पणी नहीं कर रहे. हम इन मुद्दों पर मामला खुला रख रहे हैं.सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जवाब देने के लिए लोकसभा महासचिव को तीन हफ्ते का समय दिया है. इसके बाद महुआ को भी तीन हफ्ते में जवाब देना होगा. कोर्ट में महुआ के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि महुआ मोइत्रा 18 साल तक संसद सदस्य रहीं. कोई भी व्यक्ति ऑपरेट करने के लिए सिर्फ पासवर्ड नहीं दे सकता, एक ओटीपी भी उसके पास आता है. लेकिन यहां पर पासवर्ड साझा करने के विरुद्ध किसी भी नियम के बिना उनको संसद सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया. जो भी नियम हैं वह हैकिंग से संबंधित हैं.  सिंघवी ने अदालत में कहा कि दर्शन हीरानंदानी और जय देहद्राई के आरोपों में विरोधाभास है.  जय का कहना है कि हीरानंदानी ने सवाल पूछने के लिए दबाव डाला. ठीक इसी तरह के आरोप हीरानंदानी ने जय पर लगाए हैं. हालांकि इस पूरे प्रकरण में धन के लेनदेन की कोई कड़ी नहीं मिली है और न ही मुख्य गवाहों से जिरह हुई.

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