रांची : मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं को रद्द करने तथा कॉरपोरेट घरानों के इशारे पर बनाई जा रही जनविरोधी नीतियों को बदलने की प्रमुख माँग के संदर्भ में आयोजित किया गया , जिस दिन विपक्ष की अनुपस्थिति में संसद में तीन श्रम संहिताओं को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किया गया था।कोल्हान ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच की ओर से श्री विश्वजीत देब द्वारा बताया गया कि, यह गंभीर चिंता का विषय है कि कई मौकों पर वैकल्पिक नीतियों के रूप में जन मुद्दों पर मांग उठाने के बावजूद, केंद्र सरकार द्वारा उन मांगों को उचित प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। देश का मजदूर वर्ग यह जानकर हैरान है कि ट्रेड यूनियनों द्वारा लगातार उठाई जा रही मांगों के विपरीत, चार श्रम संहिताओं का क्रियान्वयन केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अपनी मांगों पर समुचित ध्यान न दिए जाने के कारण आज मजदूर वर्ग वंचित महसूस कर रहा है। इसी वंचना की भावनाओं से मूल उत्पादक वर्गों में से एक मजदूर वर्ग को आम जनता के जीवन और आजीविका से जुड़ी मांगों के लिए फिर से विभिन्न कार्यक्रमों के लिए मजबूर कर दिया गया है।
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