न्यूयॉर्क/नई दिल्ली, 22 अक्टूबर
केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक आर्थिक माहौल में चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन भारत विकास के नए अवसरों का लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे देश अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं, भारत को उम्मीद है कि वह वस्तुओं और सेवाओं के अपने स्रोतों में विविधता लाने की चाह रखने वाले कई देशों के लिए एक प्रमुख भागीदार बन जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने ‘एक्स’ पोस्ट पर जारी बयान में बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कोलंबिया विश्वविद्यालय में ‘चुनौतीपूर्ण तथा अनिश्चित वैश्विक माहौल के बीच भारत की आर्थिक मजबूती व संभावनाएं’ विषय पर विशेष व्याख्यान में यह बात कही। वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है, जिसमें गैर-निष्पादित आस्तियों का स्तर कम है और पूंजी पर्याप्तता अनुपात उच्च है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र प्रमुख उद्योगों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए जरूरी ऋण प्रदान करके विकास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस बीच भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी आई है, जिसमें भारतमाला और सागरमाला जैसी बड़े पैमाने की परियोजनाओं ने पूरे देश में कनेक्टिविटी सुनिश्चित की है। सीतारमण ने कहा कि डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश ने झटके झेलने की हमारी अर्थव्यवस्था की क्षमता को और मजबूत किया है, डिजिटल वित्तीय समावेशन ने उन लाखों नागरिकों तक पहुँच प्रदान की है जो पहले वंचित थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2047 तक जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा, तब हमारे पास समृद्धि के एक नए युग को परिभाषित करने का मौका होगा, न केवल अपने नागरिकों बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की भूमिका बढ़ रही है और हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने, नवाचारों को साझा करने और वैश्विक शांति और समृद्धि में योगदान देने के लिए तैयार हैं।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि आने वाले दशक इस बात से परिभाषित होंगे कि भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का कितने प्रभावी ढंग से प्रबंधन करता है, अपनी वैश्विक भागीदारी को मजबूत करता है और तेजी से बदलती दुनिया की जटिलताओं को कैसे पार करता है। उन्होंने कहा कि आगे चुनौतियां हैं और भारत के लिए न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि प्रौद्योगिकी, स्थिरता और समावेशी विकास पर वैश्विक विमर्श को आकार देने के लिए भी भरपूर भी अवसर हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय समावेशन के विस्तार में भारत के प्रयासों ने एक अधिक जीवंत और लचीली वित्तीय प्रणाली बनाई है। उन्होंने कहा कि 2011 के बाद से बैंक खाते रखने वाले वयस्कों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, जिससे बचतकर्ताओं और निवेशकों का एक बड़ा समूह उपलब्ध हुआ है। सीतारमण ने कहा कि वित्तीय पहुंच में यह वृद्धि, अधिक शिक्षित और कुशल कार्यबल के साथ मिलकर भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में उभरते रुझानों का लाभ उठाने की स्थिति में ला खड़ा करती है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक परिवेश के लगातार जटिल होते जाने के बावजूद भारत के व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे मजबूत बने हुए हैं, जो भविष्य के विकास के लिए एक मजबूत आधार के रूप में काम कर रहे हैं। 2013 में भारत बाजार विनिमय दरों पर दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। भारत की अच्छी आर्थिक वृद्धि का श्रेय इसके चतुर कोविड-19 प्रबंधन को दिया जा सकता है। इसके साथ ही सरकार द्वारा अपनी विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने, डिजिटल और वित्तीय प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने, नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के लिए किए गए उपायों की एक श्रृंखला को भी दिया जा सकता है। इससे पहले उन्होंने कहा कि 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इस समय भारत 3,900 अरब अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
उल्लेखनीय है कि न्यूयॉर्क से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वाशिंगटन डीसी जाएंगी। वहां वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों, जी-20 वित्त मंत्रियों, केंद्रीय बैंक गवर्नर (एफएमसीबीजी) की बैठकों, जी-20 एफएमसीबीजी, पर्यावरण मंत्रियों एवं विदेश मंत्रियों की संयुक्त बैठक और जी-7–अफ्रीका मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेंगी।