केंद्र सरकार के कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ रही है
इससे 45 लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और 68 लाख से अधिक पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा
7वें वेतन आयोग की अवधि 2016 से 2026 तक थी, और कार्यकाल से काफी पहले ही इसे मंजूरी मिल गई
डॉ. एम. राघवैया, महासचिव (एनएफआईआर)/नेता/कर्मचारी पक्ष/एनसी(जेसीएम) और श्री शिव गोपाल मिश्रा, सचिव/कर्मचारी पक्ष/एनसी(जेसीएम), जीएस (एआईआरएफ) ने श्री अश्विनी वैशॉ से मुलाकात की और आठवें वेतन आयोग को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया
*गोरखपुर 16 जनवरी,2025* : प्रथम वेतन आयोग का गठन श्रीनिवास वरदाचारी की अध्यक्षता में (मई 1946 – मई 1947) किया गया था। इसकी प्रमुख विशेषताएं भारत की स्वतंत्रता के बाद वेतन संरचना को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया, “जीवित (लीविंग) मजदूरी” की अवधारणा पेश की गई। जिसमें न्यूनतम वेतन ₹ 55/माह तथा अधिकतम वेतन ₹2,000/माह किया गया। इससे लगभग 1.5 मिलियन कर्मचारी लाभान्वित हुए।
दूसरे वेतन आयोग का गठन श्री जगन्नाथ दास की अध्यक्षता में (अगस्त 1957 – अगस्त 1959) किया गया था। इसकी प्रमुख विशेषताएं अर्थव्यवस्था और जीवन-यापन की लागत को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित किया। इसमें न्यूनतम वेतन ₹80/माह की सिफारिश की गयी तथा “समाज के समाजवादी पैटर्न” की शुरुआत की। इससे लगभग 2.5 मिलियन कर्मचारी लाभान्वित हुए।
तीसरे वेतन आयोग का गठन श्री रघुबीर दयाल की अध्यक्षता में (अप्रैल 1970 – मार्च 1973) किया गया था। इसकी प्रमुख विशेषताओं में न्यूनतम वेतन ₹185/माह की सिफारिश की गयी। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच वेतन समानता पर जोर दिया गया। वेतन संरचना में असमानताओं को संबोधित किया। इससे लगभग 3 मिलियन कर्मचारी लाभान्वित हुए।
चौथे वेतन आयोग का गठन श्री पी.एन. सिंघल की अध्यक्षता में (सितंबर 1983 – दिसंबर 1986) किया गया था। इसकी प्रमुख विशेषताओं में न्यूनतम वेतन ₹750/माह की सिफारिश की गयी। विभिन्न पदों पर वेतन में असमानताओं को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया। प्रदर्शन-आधारित वेतन संरचना की शुरुआत की गयी। इससे 3.5 मिलियन से अधिक कर्मचारी लाभान्वित हुए।
पांचवें वेतन आयोग का गठन न्यायमूर्ति एस. रत्नावेल पांडियन की अध्यक्षता में (अप्रैल 1994 – जनवरी 1997) किया गया था। इसकी प्रमुख विशेषताओं में न्यूनतम वेतन ₹2,550/माह की सिफारिश की गयी। वेतनमानों की संख्या कम करने का सुझाव दिया। सरकारी कार्यालयों के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया। इससे लगभग 4 मिलियन कर्मचारी लाभान्वित हुए।
छठें वेतन आयोग का गठन न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में (अक्टूबर 2006 – मार्च 2008) किया गया था। इसकी प्रमुख विशेषताओं में वेतन बैंड और ग्रेड वेतन की शुरुआत की गई। न्यूनतम वेतन ₹ 7,000/माह एवं अधिकतम वेतन ₹ 80,000/माह किया गया। प्रदर्शन-संबंधी प्रोत्साहनों पर जोर दिया गया। इससे लगभग 6 मिलियन कर्मचारी लाभान्वित हुए।
सातवें वेतन आयोग का गठन न्यायमूर्ति ए.के. माथुर की अध्यक्षता में (फरवरी 2014 – नवंबर 2016) किया गया था। इसकी प्रमुख विशेषताओं में न्यूनतम वेतन बढ़ाकर ₹18,000/माह तथा अधिकतम वेतन ₹2,50,000/माह किया गया। ग्रेड वेतन प्रणाली के बजाय एक नए वेतन मैट्रिक्स की सिफारिश की गई। भत्ते और कार्य-जीवन संतुलन पर ध्यान केंद्रित किया गया। इससे 10 मिलियन से अधिक (पेंशनभोगियों सहित) लाभान्वित हुए।
8वें वेतन आयोग की घोषणा 16 जनवरी 2025 को की गयी।