मालीगांव, 19 दिसंबर, 2024:
पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पू. सी. रेलवे) ट्रेन परिचालन में बुनियादी अवसंरचना और संरक्षा में सुधार के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत है। इसके तहत गुवाहाटी के पानबाजार स्थित पुराने रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) को नए स्वरूप में बदलने का कार्य जारी है। नए चौड़े आरओबी का निर्माण कार्य पू. सी. रेलवे की कुशल टीम की देखरेख में तेजी से आगे बढ़ रहा है और जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। 1965 में निर्मित पुराना पानबाजार आरओबी संरचनात्मक और परिचालन संबंधी सीमाओं से बंधा था, जिसमें अपर्याप्त ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज क्लीयरेंस था। इसकी वजह से 15 किमी/घंटा की स्थायी गति सीमा थी और एक “डेड वायर ज़ोन” बन गया था और इलेक्ट्रिक इंजनों की सुचारू आवाजाही को प्रभावित करता था। इसके अलावा, खासकर भारी बारिश के दौरान बार-बार जलजमाव की समस्या उत्पन्न होती थी, जिसके कारण सिग्नल फेल हो जाते थे और यातायात बाधित होता था, साथ ही साथ यात्रियों को असुविधा होती थी।
पानबाजार क्षेत्र में नए आरओबी का उद्देश्य अपने पूर्ववर्ती सभी सीमाओं को दूर करना है, साथ ही उल्लेखनीय संवर्द्धन भी करना है। 60 मीटर के लंबे स्पान के साथ, यह बेहतर ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज निकासी प्रदान करेगा, गति प्रतिबंधों को समाप्त किया गया है और बाधा-मुक्त ट्रेन परिचालन को सक्षम किया गया है। ऊँचे रेल पटरी से जल जमाव की समस्या भी दूर होगी, जिससे मानसून के दौरान भी सुचारू परिचालन सुनिश्चित होगा। इसके अतिरिक्त, पुन: डिज़ाइन की गई संरचना गुवाहाटी स्टेशन पर यार्ड रिमॉडलिंग की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे अतिरिक्त प्लेटफार्मों और यात्री सुविधाओं के लिए जगह रहेगी। यह नया आरओबी ओवर-डायमेंशनल कंसाइनमेंट और सभी प्रकार के इंजनों (इलेक्ट्रिक लोको) की आवाजाही को भी सक्षम बनाएगा, जिससे इस क्षेत्र की औद्योगिक और आर्थिक प्रगति को भी बढ़ावा मिलेगा। नए आरओबी में तीन लेन की चौड़ी सड़क होगी, जो केवल दो लेन वाले पुराने पुल का स्थान लेगी। परिणामस्वरूप, अपेक्षाकृत अधिक पैमाने पर सड़क परिवहन की क्षमता बढ़ जाएगी। इससे यातायात की भीड़ कम होगी, इस प्रकार यात्रियों के लिए सुगम और अधिक कुशल परिवहन प्रणाली सुनिश्चित होगी।
परियोजना स्थल के पास फायर ब्रिगेड स्टेशन की मौजूदगी से निर्माण सामग्रियों को ढेर करने में लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे कार्यस्थल की दक्षता सीमित हो जाती है। इसके बावजूद, निर्माण कार्य में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसमें बुनियादी अवसंरचनाओं का पूरा होना; बो स्ट्रिंग गर्डर्स का परिवहन एवं पर्याप्त फेबरिकेशन और जियो-सेल तकनीक का उपयोग कर उन्नत उप-मृदा सुधार शामिल है। जियो-सेल के आधुनिक तकनीक के कार्यान्वयन में भार वितरण और मृदा स्थायित्व को बढ़ाने के लिए कणयुक्त सामग्री से भरे इंटरकनेक्टेड सेल का उपयोग शामिल है। इस प्रकार की तकनीक बुनियादी अवसंरचना की दीर्घायु और लचीलापन सुनिश्चित करती हैं, जो रेलवे संचालन को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक समाधान अपनाने पर पू. सी. रेलवे के फोकस के साथ संरेखित करती है। अधिकृत एजेंसियों द्वारा निर्माण कार्यों के प्रमुख घटकों का सफल निरीक्षण किया गया है। पू. सी. रेलवे के महाप्रबंधक
श्री चेतन कुमार श्रीवास्तव ने भी हाल ही में निर्माण स्थल का निरीक्षण किया और सभी संबंधित अधिकारियों को समय पर तथा कुशल परियोजना निष्पादन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
