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‘दीदी की सिलाई घर’ से प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं:गिरिराज सिंह

कौनैन अली, संवाददाता

बेगूसराय: सांसद-सह- केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरीराज सिंह द्वारा  चेरिया बरियारपुर एवं बरौनी प्रखंड में ‘दीदी का सिलाई घर’ प्रशिक्षण-सह- उत्पादन केंद्र उत्पादन किया गया।इस अवसर पर बिहार के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता, जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला, विधायक कुंदन कुमार, उप विकास आयुक्त प्रवीण कुमार, सहायक समाहर्ता सह सहायक दंडाधिकारी  अजय यादव, सिविल सर्जन अशोक कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी गुलाम मुस्तफा, अनुमंडल पदाधिकारी  एवं मंझौल सहित अन्य पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जीविका के तहत महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस केंद्र के माध्यम से जीविका दीदियों को सिलाई-कढ़ाई के आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण के साथ-साथ उत्पादन कार्य का भी अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराना है। प्रशिक्षण के उपरांत महिलाएं स्कूल ड्रेस, बैग, मास्क, लेडीज एवं जेंट्स वियर आदि का उत्पादन कर अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगी। मंत्री ने कहा कि महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार के लिए सक्षम बनाया जाएगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी तथा वह आर्थिक सशक्त होगी। स्थायी रोजगार के अवसरः प्रशिक्षण के साथ-साथ उत्पादन कार्य भी शुरू होगा जिससे दीदियों को निरंतर काम और आय का स्रोत मिलेगा।इस अवसर पर जिला पदाधिकारी ने कहा कि सदर प्रखंड में पूर्व में इस तरह का एक केंद्र का संचालन जीविका द्वारा सफलता पूर्वक किया जा रहा है। इस केंद्र से लगभग 100 दीदियां प्रशिक्षित होकर आज सिलाई को अपने आजीविका का साधन बना चुकी हैं।इस कार्य के सफल संचालन में जिला प्रशासन द्वारा पूरा सहयोग किया जायेगा, समूह में एक साथ काम करने से आपसी सहयोग और संगठन की भावना विकसित होगी जिससे महिलाएं मिलकर बड़ी योजनाओं को भी क्रियान्वित कर सकेंगी।बतातें चलें कि जिला परिषद एवं पंचायत समिति के सहयोग से जीविका दीदी के सिलाई केंद्र के संचालन के लिए निःशुल्क स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इसके साथ ही यूको आरसेटी एवं निफ्ट द्वारा दीदियों को सिलाई का प्रशिक्षण देकर उनके कौशल का विकास एवं उन्हें उन्नत तकनीक की जानकारी दिया जा रहा है।शुरुआती चरण में इन केंद्रों में 200 से अधिक प्रशिक्षित जीविका दीदियों को कार्य उपलब्ध करवाया जाएगा। जिसके बाद उत्पादन कार्य शुरू कर बाजार में उनके उत्पादों की ब्रांडिंग और बिक्री की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी।स्कूल ड्रेस, बैग, मास्क, महिलाओं एवं पुरुषों के वस्त्र आदि का स्थानीय स्तर पर उत्पादन कर बाजार में बेचा जाएगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। इसके साथ ही विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा भी सिलाई से संबंधी कार्य दिया जायेगा। जीविका के माध्यम से उत्पादों की ब्रांडिंग और बिक्री के लिए प्लेटफॉर्म भी मिलेगा जिससे महिलाएं अपने बनाए उत्पाद बड़े बाजारों तक पहुंचा सकेंगी।
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