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कुल की फातिहा के साथ दो रोज़ा उर्स ए फरीदी संपन्न,

मुल्क व कौम की खुशहाली की मांगी दुआ
बदायूं 27 फरवरी विनोद शर्मा। हर साल की तरह इस साल भी बाबा फरीद के पोते कुतबे बदायूं मुफ्ती शाह मोहम्मद इब्राहिम फरीदी का दो रोज़ा सालाना उर्स ए फरीदी का आगाज़ कल सुबह कुरआन ख्वानी से हुआ । दोपहर में 11वीं शरीफ की न्याज़ हुई। जिसके बाद शाम 4:00 बजे चादर शरीफ का जुलूस नात ओ मनकबत और इस्लामी नारों के बीच मोहल्ला कामांगरान स्थित खानकाहे फरीदिया से दरगाह पहुंचा। जिसमे अकीदतमंदो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। बाद नमाजे इशा साहिबे सज्जादा खानकाह आबादानिया, फरीदिया बदायूं शरीफ, हज़रत मोहम्मद अनवर अली फरीदी (सुहैल फरीदी) साहब की सदारत में महफिल मिलाद शरीफ की महफिल का आयोजन किया गया। आखिर में सलातो सलाम के बाद मुल्क व कौम की तरक्की और खुशहाली के लिए दुआ की गई। सभी को तबर्रुक तकसीम किया गया।
उर्स के दूसरे दिन सुबह नौ बजे कुरआन ख्वानी, के बाद नतिया महफिल का इनकाद किया गया। कुल की फातिहा से पहले उलेमाओं ने खिताब फरमाया ।साहिबे सज्जादा खानकाह आबादानिया, फरीदिया बदायूं शरीफ, हज़रत मौलाना मोहम्मद अनवर अली फरीदी (सुहैल फरीदी) साहब ने बड़ा इल्मी बसीरत अफ़रोज़ बयान से हाज़रीन को दिलों में ईमान की रोशनी पैदा की। हमेशा की तरह इस बार भी बुखारी शरीफ़ की पहली हदीस “इन्नमल आमा लो बिन नियत” से अपने बयान का आगाज़ किया। आपने फरमाया हर अमल का दारो मदार नियत पर है यानी जिस नियत से काम किया जाएगा अल्लाह तआला उसी नियत के ऐतबार से अज्र अता फरमाएगा, मसलन आप किसी बीमार की दुनियावी एतबार से अयादत करने गए तो अल्लाह ताअला आपको आयात करने का अज्र सवाब देगा यदि आप बीमार को देखने यह मानकर गए के अयादत करना रसूल की सुन्नत है तो अल्लाह तआला दोगुना सवाब देगा, पहले रसूल की सुन्नत पर अमल करने का और दूसरा सवाब बीमार की अयादत करने का।
उन्होंने फरमाया कि बुजुर्गों को खानकाह से बाबस्तगी रखनी चाहिए। इन अल्लाह वाले बुजुर्गों के दर से हमेशा मुरादों की  झोलिया भरी जाती रही हैं। यहां से अकीदतमंदो को हमेशा फैज़ पहुंचता हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस्लाम की सच्ची राह पर चलते हुए सच्चाई, प्यार मोहब्बत का पैगाम देना चाहिए ये ख्याल रहे की हमारे बर्ताव से किसी पड़ोसी व रिश्तेदारों का दिल न दुखे। हमें अपने पैगंबर के बताए नियमो का पालन करना चाहिये।  इस्लाम, प्यार मोहब्बत और भाईचारे का नाम है।
जिसके बाद कुल शरीफ की रस्म अदा की गई और मुल्क व कौम की तरक्की और खुशहाली के लिए सामूहिक दुआ की गई। सभी को लंगर तकसीम किया गया।
इस मौके पर शहजाद ए गिरामी सुहैब फरीदी, क़ारी हज़रत अब्दुर्रसूल साहब, डॉ मौलाना यासीन अली उस्मानी,अनवर फरीदी,सऊद फरीदी, अब्दुल जलील फरीदी, डॉ मुजाहिद नाज़ बदायूंनी, शमसुद्दीन शम्स मुजाहिदी, अहमद अमजदी बदायूंनी, सलीम खां, मु० उस्मान आबिद आदि खादिम के अलावा सैकड़ों अकीदतमंद मौजूद रहे।
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