मालीगांव, 27 नवंबर, 2024:
भारतीय रेल के 100% बिजलीकरण और नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के एक हिस्से के रूप में पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पू. सी. रेलवे) अपने बिजलीकरण मिशन में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। नवंबर 2024 तक, पू. सी. रेलवे ने कुल 2,827.74 रूट किलोमीटर (आरकेएम) का सफलतापूर्वक विद्युतीकृत किया है, जो 4260.52 आरकेएम के कुल लक्ष्य का 66% से अधिक है, इस प्रकार इसने अपने रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण में तेजी से वार्षिक प्रगति को दर्शाया है।
पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के विभिन्न मंडलों- लामडिंग (986.76 आरकेएम), कटिहार (747.12 आरकेएम), अलीपुरद्वार (618.75 आरकेएम), रंगिया (433.8 आरकेएम) और तिनसुकिया (41.31 आरकेएम) विद्युतीकृत हो चुका है। पू. सी. रेलवे के क्षेत्राधिकार के अधीन आने वाले राज्यों में असम 1,401.46 आरकेएम विद्युतीकृत पटरियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद पश्चिम बंगाल (935.94 आरकेएम), बिहार (318.87 आरकेएम) और त्रिपुरा (151.58 आरकेएम) हैं। मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों में भी बिजलीकरण शुरू किया गया है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में समावेशी बुनियादी अवसंरचना के विकास के प्रति पू. सी. रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बीते वित्त वर्ष में, 921.62 आरकेएम विद्युतीकृत हो चुका है और इस वर्ष के नवंबर, 2024 तक अतिरिक्त 244.6 आरकेएम विद्युतीकृत किया गया है। हरित और अधिक कुशल नेटवर्क को लक्षित करते हुए, पू. सी. रेलवे का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 1,573 आरकेएम का बिजलीकरण करना है, जो 4260.52 आरकेएम की कुल बिजलीकरण योजना को महत्वपूर्ण रूप से गति मिलेगी।
बड़े पैमाने पर इस बिजलीकरण परियोजना को इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड (इरकॉन), रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) और पू. सी. रेलवे/निर्माण सहित प्रमुख एजेंसियों द्वारा निष्पादित किया जा रहा है। इन बिजलीकरण परियोजनाओं के पूरा होने से पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल रेल परिचालन सहित कई लाभ मिलने की उम्मीद है। इससे कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी और निर्बाध कर्षण के कारण ट्रेन की समयबद्धता और गति में वृद्धि होगी।
पू. सी. रेलवे इस क्षेत्र के लिए एक आधुनिक, कुशल और हरित परिवहन नेटवर्क प्रदान करने के अपने मिशन में दृढ़ है, जो आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और देश के बाकी हिस्सों के साथ पूर्वोत्तर राज्यों के दूर-दराज क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी के व्यापक लक्ष्यों को सहयोग प्रदान करता है।